फ्रंट पेज न्यूज, डिजिटल डेस्कः हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक होली। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन होलिका दहन किया जाता और अगले दिन रंगों के साथ होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा और 8 मार्च को रंगों के साथ होली खेली जाएगी। हालांकि, कुछ जगहों पर होली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है। होलिका दहन से लेकर रंग पंचमी तक मनाया जाता है। होलिका दहन में कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। आइए जानते हैं होलिका दहन के नियम।

शास्त्रों में बताया गया है कि अगर कोई स्त्री गर्भवती है तो उसे होलिका दहन की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। साथ ही होली की अग्नि भी प्रज्वलित नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करना बच्चे के लिए शुभ नहीं रहता है।

होलिका दहन के नियम

होलाष्टक से होलिका दहन की शुरुआत हो जाती है। होली से पहले ही लोग लकड़ी और उपले इकट्ठा करके रखते हैं। इसके बाद शाम के समय होलिका में आग प्रज्वलित करते होलिका दहन किया जाता है। लेकिन, कुछ बातों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है।

होलिका दहन में न करें इन लकड़ियों का इस्तेमाल

होलिका दहन में बांस, पीपल, बरगद, नीम, आंवले और अशोक के पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल,बरगद और नीम की लकड़ी का इस्तेमाल करने से पितृदोष लगता है। वहीं, बांस की लकड़ी जलाने से वंश का नुकसान होता है।

होलिका दहन के दिन रखें इन बातों का भी ख्याल

जिन दंपत्ति को एक ही संतान हैं उन्हें होलिका दहन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करनी चाहिए। इसी के साथ ऐसा कहा जाता है कि नव विवाहित दंपत्ति को भी होलिका दहन नहीं देखना चाहिए और महिलाओं को अपनी पहली होली मायके में मनानी चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि जिन लोगों के माता पिता नहीं है वह होलिका दहन की अग्नि प्रज्वलित कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *