फ्रंट पेज न्यूज, अमृतसरः अमृतसर के सीमांत गांव रामूवालिया के सरकारी स्कूल में दाखिला घोटाला सामने आया है। कुछ बच्चों के नाम सरकारी स्कूल के रजिस्टर में दर्ज थे, परंतु वे पढ़ाई क्षेत्र के ही एक निजी स्कूल में कर रहे थे। जब लोगों ने यह मामला क्षेत्र के विधायक जसविंदर सिंह के ध्यान में लाया तो उन्होंने इस मामले की जांच शुरू करवा दी है। पता चला है कि इस तरह की घपलेबाजी कई वर्षों से चली आ रही है। यह सिर्फ एक स्कूल में नहीं बल्कि अमृतसर जिले के कई गांवों के सरकारी स्कूलों में चल रहा है।
बहुत सारे लोग अपने बच्चों को पढ़ाते तो निजी कान्वेंट स्कूलों में हैं, परंतु उनकी ओर से बच्चों के दाखिले सरकारी स्कूलों में करवाए जाते हैं। ताकि दसवीं व बारहवीं कक्षा के बाद वह ग्रामीण व बॉर्डर एरिया के विद्यार्थियों को मिलने वाली अंक सुविधाएं हासिल कर सकें। जब फाइनल परीक्षा होती है तो लोग अपने बच्चों को फाइनल परीक्षा निजी के बजाय सरकारी स्कूलों में दिलवाते हैं, उनके दाखिलों दो-दो स्कूलों में चलते रहते हैं।
इस मामले की शिकायत अटारी विधानसभा के विधायक जसविंदर सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने अपने स्तर पर इसकी जांच करवानी शुरू की। विधायक ने पार्टी के वालंटियर्स की एक टीम स्कूल में जांच को भेजी। टीम ने पाया कि सरकारी स्कूल के रजिस्टर में कुल 45 बच्चों के नाम दर्ज हैं लेकिन स्कूल में सिर्फ 15 बच्चे ही हाजिर हैं। अन्य 30 को गैर हाजिर दिखाया गया है। असल में यह बच्चे गैर हाजिर नहीं थे। इनमें से 22 बच्चे पास के ही निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं।
सरकारी स्कूल के रजिस्टर में छह ऐसे बच्चों के नाम भी दर्ज हैं, जो कभी सरकारी स्कूल गए ही नहीं। वालंटियर्स को शंका है कि फर्जी दाखिलों के जरिये फंड की हेराफेरी होने की भी संभावना है जिसे लेकर विधायक को रिपोर्ट देंगे, क्योंकि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मिड-डे मील, फ्री बुक्स, वर्दी के अलावा कई तरह की ग्रांट जारी की जाती है लेकिन इन बच्चों की ग्रांट कहां गई, इसकी जांच भी होनी चाहिए।
दूसरी ओर क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल पुष्पा मल्होत्रा का कहना है कि यह कई सालों से हो रहा है। वह कई बार बच्चों का ट्रांसफर सर्टिफिकेट देने की बात कर चुके हैं लेकिन ट्रांसफर सर्टिफिकेट अभिभावकों ने अभी तक जमा नहीं करवाए हैं। दूसरी ओर विधायक जसबीर सिंह ने कहा कि इस सारे मामले की विभागीय जांच भी करवाई जाएगी।